पिछले दिनों मशहूर कथाकार रवींद्र कालिया जी का निधन हो गया, उनकी अनेक रचनाएं दिल को छूने वाली हैं। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए उनमें से एक का यहां जिक्र करना चाहूंगा...
समाज जिसे खुलकर कहने की स्वीकृति नहीं देता, उस अनकहे को बड़ी खूबसूरती से कालिया जी ने अपनी रचनाओं में अभिव्यक्ति दी है। नौ साल छोटी पत्नी... कहानी जैसी उनकी अनेक रचनाएं इसका सटीक उदाहरण हैं। सोचता था उम्र के अंतर की कथा शायद उनका अपना अनुभव हो, लेकिन ममता कालिया जी और उनके बीच उम्र में मात्र दो वर्ष का ही अंतर है। कहानी पढऩे के बाद लगा श्रेष्ठ रचनाकार वही होता है, जो खुद के हर अहसास को सबका बना दे। यहां जबलपुर के साहित्यकार ज्ञानरंजन जी की कहानी की परिभाषा उल्लेखनीय है कि तनाव और संतुलन के बीच विजन की तलाश ही कहानी है।
समाज जिसे खुलकर कहने की स्वीकृति नहीं देता, उस अनकहे को बड़ी खूबसूरती से कालिया जी ने अपनी रचनाओं में अभिव्यक्ति दी है। नौ साल छोटी पत्नी... कहानी जैसी उनकी अनेक रचनाएं इसका सटीक उदाहरण हैं। सोचता था उम्र के अंतर की कथा शायद उनका अपना अनुभव हो, लेकिन ममता कालिया जी और उनके बीच उम्र में मात्र दो वर्ष का ही अंतर है। कहानी पढऩे के बाद लगा श्रेष्ठ रचनाकार वही होता है, जो खुद के हर अहसास को सबका बना दे। यहां जबलपुर के साहित्यकार ज्ञानरंजन जी की कहानी की परिभाषा उल्लेखनीय है कि तनाव और संतुलन के बीच विजन की तलाश ही कहानी है।